रविवार, 27 फ़रवरी 2011

तरक्की चाहिए तो खुद को बदलो

हमारे समाज में पुराने ढररे पर चलना आज भी अनेक मामलों में सही माना जाता है चाहे वह शादी हो या कोई प्रथा इन बातों पर आज भी हमारा समाज रूढि़वादियों से घिरा है। लेकिन ये जरूरी नहीं कि उस का वह नियम या कायदा समय के अनुसार हो इसलिए हमें समय के साथ अपने आप को बदल लेना चाहिए
गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ा एक पंसग यही संदेश देता है। बुद्ध उस समय वैशाली में थे वे नित्य धर्मोपदेश देते थे और उनके शिष्य भी उनके उपदेशों का प्रचार करते एक दिन उनके शिष्यों का समूह यही काम कर रहा था कि रास्ते में उन्हें भूख से तड़पता हुआ आदमी दिखाई दिया उनके एक शिष्य ने कहा कि तुम भगवान बुद्ध की शरण में आआ और उनके उनके उपदेश सुनो तुमको शांति मिलेगी भिखारी भूख के मारे उठ नहीं पा रहा था जब महात्मा बुद्ध को इस बारे में पता चला तो वे उसी समय उस भिखारी से मिलने आए और उसे भरपेट खाना खिलाया फिर अपने शिष्य से बोले कि इस वक्त भरपेट खाना ही इसकी जरुरत है और उपदेश भी क्योंकि भूखे आदमी को धर्म समझ नहीं आएगा। हमें समय को ध्यान में रखकर ही सारा काम करना चाहिए।