सोमवार, 28 मार्च 2011

Small Story, Big Moral

Study this small story; Hope that makes a BIG change 

Professor began his class by holding up a glass with some water in it.  He held it up for all to see & asked the students
"How much do you think this glass weighs?"

'50gms!' ..... '100gms!' .....'125gms'  ...the students answered.                      
        

Description:
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"I really don't know unless I weigh it," said the professor, "but, my question is:

What would happen if I held it up like this for a few minutes?"

'Nothing' ..the students said.

'Ok what would happen if I held it up like this for an hour?' the professor asked.

'Your arm would begin to ache' said one of the student

"You're right, now what would happen if I held it for a day?"

"Your arm could go numb, you might have severe muscle stress & paralysis & have to go to hospital for sure!"
.. ventured another student & all the students laughed

"Very good.

But during all this, did the weight of the glass change?"
asked the professor.

'No'. Was the answer.

"Then what caused the arm ache & the muscle stress?"

The students were puzzled.

"What should I do now to come out of pain?" asked professor again.

"Put the glass down!" said one of the students

"Exactly!" said the professor.

Life's problems are something like this.
Hold it for a few minutes in your head & they seem OK.

Think of them for a long time & they begin to ache.
Hold it even longer & they begin to paralyze you. You will not be able to do anything..

It's important to think of the challenges or problems in your life,
But EVEN MORE IMPORTANT is to 'PUT THEM DOWN' at the end of every day before You go to sleep...

That way, you are not stressed, you wake up every day fresh &strong & can handle any issue, any challenge that comes your way!


So, when you leave office today,
Remember to 

PUT THE GLASS DOWN ! '
Description:
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बुधवार, 2 मार्च 2011

ज़िंदगी जीने के लिए ज़रूरी पंद्रह सबक

  1. तुम्हारे बारे में लोग कुछ भी कहते रहें, उससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. लोगों का क्या है, वे तुम्हारे सामने या फिर पीठे पीछे कुछ-न-कुछ कहते ही रहेंगे.
  2. यदि तुम लोगों से सहृदयता से पेश आओगे तो वे तुम्हें अच्छाई से ज़रूर नवाजेंगे. यह बात 99% लोगों पर ठीक बैठती है.
  3. कभी-कभी तुम्हारी सलाह और सुझाव सकारात्मक और प्रोत्साहक होने के बाद भी लोग तुम्हें सुनने के लिए तैयार नहीं होंगे. तुम्हें इस स्थिति को स्वीकार करना है और सामनेवाले के प्रतिरोध को दिल से नहीं लगाना है.
  4. तुम्हारे सामने यह विकल्प है कि तुम किसी भी बात को सकारात्मक लो या नकारात्मक लो. तुम अपने इस अधिकार का सदैव उपयोग करो ताकि तुम्हारा जीवन खुशहाल रहे.
  5. ऐसे लोग हमेशा मौजूद रहेंगे जो तुम्हें पीछे धकेलना चाहेंगे. ऐसा उनकी असुरक्षा की भावना के कारण है. वे यह नहीं चाहते कि वे ठहरे हुए पानी की तरह गंदला जाएँ और दूसरे लोग आगे निकल जाएँ.
  6. आज, इस वक़्त, यही तुम्हारी ज़िंदगी है. तुम इसका जितना फायदा उठा सकते हो उठा लो. तुम अपने आसपास मौजूद लोगों का दिन खुशगवार बना सकते हो और ठान लो तो लाखों-करोड़ों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश भी कर सकते हो.
  7. तुम अपनी राह के कंटकों और अवरोधों को नए नज़रिए से देखो. वे तुम्हारे लिए रुकने का संकेत नहीं हैं बल्कि तुम्हें यह बताते है कि तुम किसी चीज़ को कितनी शिद्दत से पाना चाहते हो.
  8. तुम सदैव वह काम करो जिसे तुम करते आये हो, भले ही तुम्हें एक-जैसे परिणाम मिलें. यह कॉमन सेन्स है पर बहुत से लोग एक ही गति पर चलकर अलग-अलग मंजिल पर पहुँचने की उम्मीद करते हैं. ऐसे लोग बहुत कम लेकिन बहुत प्रसिद्द हैं और वे इसे पागलपन कहते हैं.
  9. किसी से ईर्ष्या करने पर किसी और को नहीं वरन तुम्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान होगा. अपने समय और ऊर्जा को किसी बेहतर काम में लगाओ.
  10. यदि तुम्हें यात्रा में आनंद नहीं आ रहा है तो शायद तुम गलत लेन में चल रहे हो. पिछले चौराहे तक जाने में झिझको नहीं और दोबारा कोशिश करो. गलत राह पर दूर तक बढ़ते चले जाने से बेहतर यही है.
  11. अपने अहंकार को कहीं आड़े नहीं आने दो. जिन चीजों को तुम पसंद करो उन्हें लपक लो और जिन लोगों से प्रेम करो उन्हें यह जताओ. अवसर चूकने के लिए यह जीवन बहुत छोटा है. यदि लोग इस बात के लिए तुम्हारे आलोचना करें तो… यह उनकी समस्या है, तुम्हारी नहीं.
  12. पुरानी कहावत है कि जिससे तुम पिंड छुडाना चाहते हो वही तुम्हारे गले पड़ता है. अतीत और भविष्य के सारे पछतावों से छुटकारा पाने के लिए यह ज़रूरी है कि तुम किसी से भी एक सीमा से अधिक न बंधो और स्वयं को शनैः-शनैः मुक्त करते जाओ. हर किसी को सब कुछ नहीं मिलता.
  13. तुम्हारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता हो उसपर पैनी निगाह रखो. अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को सीमायें नहीं लांघने दो. तुम्हारी जागरूकता ही बदलते वक़्त उतार-चढ़ाव के साथ तुम्हें संयत रख सकेगी.
  14. तुम्हारी समस्या जैसी भी हो, यह बहुत संभव है कि दूसरों के जीवन में भी वैसी ही समस्या आई हो और उन्होंने इसका कोई हल निकाल लिया हो. अपने मन को दिलासा दो कि तुम अकेले नहीं हो और तुम्हारी दिक्कतों का भी कोई-न-कोई हल कहीं ज़रूर होगा.
  15. हर उस बात पर सवाल उठाओ जो तुम कहीं भी पढ़ते या सुनते हो, यहाँ तक कि इन पंद्रह बिन्दुओं पर भी. महत्वपूर्ण विचारों को हम बहुधा इस लिए नहीं समझ पाते क्योंकि हम उनमें छुपे हुए सत्य को देख ही नहीं पाते हैं.
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