गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

मेरी इच्छा

हे ईश्वर! मुझे ऐसा रजकण बना दो, जो कभी हवा के साथ उड़े और आवश्यकता पड़ने पर पर्वत बन, हवा की दिशा बदल दे.