शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

लक्ष्य पाना है तो दूसरी बातों पर ध्यान न दें

हर किसी के जीवन में अपना एक लक्ष्य होता है। कुछ लोग लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं जबकि कुछ लोग इधर-उधर की बातों पर ध्यान देकर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। ऐसा लोगों की संख्या अधिक है जो अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते। चूंकि वे अपने लक्ष्य को देखते तो हैं लेकिन उसके आस-पास जो भी होता है उसे पर भी ध्यान देते हैं। जबकि जो लोग लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं उन्हें हर समय सिर्फ अपना लक्ष्य ही दिखाई देता है और वे कठिन प्रयास कर आखिरकार अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं। कौरवों व पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य ने एक बार अपने शिष्यों की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने एक नकली गिद्ध एक वृक्ष पर टांग दिया। उसके बाद उन्होंने सभी राजकुमारों से कहा कि तुम्हे बाण से इस गिद्ध के सिर पर निशान लगाना है। पहले द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बुलाया और निशाना लगाने के लिए कहा। फिर उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है। युधिष्ठिर ने कहा मुझे वह गिद्ध, पेड़ व मेरे भाई आदि सबकुछ दिखाई दे रहा है। यह सुनकर द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को निशाना नहीं लगाने दिया। इसके बाद उन्होंने दुर्योधन आदि राजकुमारों से भी वही प्रश्न पूछा और सभी ने वही उत्तर दिया जो युधिष्ठिर ने दिया था।
सबसे अंत में द्रोणाचार्य ने अर्जुन को गिद्ध का निशाना लगाने के लिए कहा और उससे पूछा कि तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है। तब अर्जुन ने कहा कि मुझे गिद्ध के अतिरिक्त कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है। यह सुनकर द्रोणाचार्य काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने अर्जुन को बाण चलाने के लिए। अर्जुन ने तत्काल बाण चलाकर उस नकली गिद्ध का सिर काट गिराया। यह देखकर द्रोणाचार्य बहुत प्रसन्न हुए।